सोमवार, 12 जनवरी 2009
सरकार को इतनी जल्दी क्यों हैं -आशुतोष
इस रेगुलेशन से सरकारी मंशा पर सवाल खड़े होते हैं..। क्योंकि टीवी चैनल पर कुछ दिनों पहले ही पूर्व चीफ जस्टिस जेएस वर्मा के नेतृत्व में एक इमरजेंसी गाइड लाइन बनाई गई थी। सारे चैनलों ने इसे लागू करने की बात भी कही थी, लेकिन सरकार ने इस इमरजेंसी गाइडलाइन को ही सिरे से नकार दिया, जबकि सरकार को इस गाइडलाइन के तहत चैनलों को काम करने देना चाहिए, जो उसने नहीं किया। सवाल ये है कि सरकार इतनी जल्दी में क्यों है? वो सेल्फ रेग्यूलेशन के खिलाफ क्यों है? ये एक बड़ा सवाल है। (आशुतोष आईबीएन 7 के मैनेजिंग एडिटर हैं)
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1 टिप्पणी:
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हमारा मौलिक अधिकार है। मीडिया भी इसी आजादी के तहत काम करती है, ऐसे में सरकारी नुक्ताचीनी न सिर्फ प्रेस की आजादी पर हमला है बल्कि करोड़ों देशवासियों के मौलिक अधिकार पर भी चोट है। हां मीडिया को अपनी हदों का ख्याल जरुर रखना चाहिए लेकिन मीडिया सरकार का भोंपू नहीं बन सकती। इसलिए सत्ता में बैठे महानुभाव सरकारी डंडा चलाकर प्रेस को अपना मुखपत्र बनाने की न सोंचे। इतिहास गवाह है कि फ्री मीडिया किसी भी देश में आम लोगों को कितनी आजादी है उसका मापदंड रहा है
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