सरकार का इरादा टीवी चैनलों को रेगुलेट करना नहीं उन्हें अपने काबू में करना है ताकि कभी को ऐसी खबर जिससे सरकार की सेहत पर असर पड़े, चैनलों पर न चल पाए। अगर टीवी न्यूज चैनलों से मुंबई हमलों के दौरान कोई चूक हुई तो उसे सुधारने के लिए और भविष्य में ऐसी चूक न हो इसके लिए एनबीए ने अपनी गाइडलाइन जारी कर दी है। सभी न्यूज चैनलों के संपादकों के साथ बातचीत करने के बाद एनबीए आथारिटी के चेयरमैन जस्टिस जे एस वर्मा ने सेल्फ रेगुलेशन का ये गाइडलाइन लागू कर दिया है। फिर भी सरकार चैनलों सेंसरशिप की तैयारी कर रही है। ये मीडिया का गला घोंटने की कोशिश है। इसे नहीं मंजूर किया जाना चाहिए और जिस हद तक मुमकिन हो इसका विरोध किया जाना चाहिए,वरना वो दिन दूर नहीं जब कोई सरकारी बाबू और अफसर नेशनल इंट्रेस्ट के नाम पर किसी भी न्यूज चैनल की नकेल कसने में जुट जाएगा। फिर कभी भी गुजरात दंगों के दौरान जैसी रिपोर्टिंग आप सबने टीवी चैनलों पर देखी है ,नहीं देख पाएंगे। कभी भी सरकार या सरकारी तंत्र की नाकामी के खिलाफ जनता अगर सड़क पर उतरी और उसकी खबर को तवज्जो दी गयी तो उसे नेशनल इंट्रेस्ट के खिलाफ मानकर चैनल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर दी जाएगी। हर सूबे और हर जिले का अफसर अपने -अपने ढंग से नेशनल इंट्रेस्ट को परिभाषित करेगा और अपने ढंग से इस्तेमाल करके मीडिया का गला घोंटेगा ।
( अजित अंजुम न्यूज़ २४ के सम्पादकीय प्रमुख हैं)
सोमवार, 12 जनवरी 2009
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